सावन से पुनो को आता रक्षा बंधन का त्यौहार। पाक प्रेम का सूचक है यह भाई बहन का सच्चा प्यार।। खुश होते है सब यह दिन...
सावन से पुनो को आता
रक्षा बंधन का त्यौहार।
पाक प्रेम का सूचक है यह
भाई बहन का सच्चा प्यार।।
खुश होते है सब यह दिन
कोई कुंठित होकर खाते है।
भाई नहीं है जिस बहनो के
वे चुपके~चुपके रोते है।।
कुंठित होता मन उद्विग्न
उनके दुःख को क्या कहना।
आप भाग्य को कोसा करते
जिनकी नहीं होती बहना।।
हाट कस्बे और शहर भी
राखी से सब सजते है।
सावन में चमकते है यह
सोने जैसे रजते है।।
भीड़ उमड़ती है बहुत तब
मेवे मिष्ठान की दुकानों पर।
पीले लिफाफे की ढेर
लगी होती है डाक खानो पर।।
रक्षा बंधन के दिन सुबह से
तैयारी में सब रहते है।
स्नान ध्यान कर बहन
राखी बंधवाने को कहते है।।
थाली में आरती सजाकर
मस्तक में रोरी देती है।
मुँह में लड्डू और कलाई में
रक्षा बंधन होती है।।
राखी यह रेशम की डोरी
भाई बहन की प्यार की।
रक्षा करता भाई बहन की
रीत है संसार की ।।
धन्यवाद।
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