पंच तत्व के बना शरीर यह छोड़ चला मै मर गया। ढक देना इस पर कफन यारों मै तब तर गया । । पाला था जिसे रक्तो से स...
पंच तत्व के बना शरीर यह
छोड़ चला मै मर गया।
ढक देना इस पर कफन
यारों मै तब तर गया ।।
पाला था जिसे रक्तो से सींच
वह छोड़ गया मै टूट गई।
माँ रोती सीना पीट~पीट
हाय ! मेरी किस्मत फूट गयी।।
पिघल चूका पिता का ह्रदय
वे भी सुबकते रहते।
माँ की आँखों से मानो
गंगा और यमुना बहते ।।
कुछ लोगो ने दया दिखाया
उनका भी आँखे नम था।
जीवन भर जो झंझट करता
जिनका मै दुश्मन था ।।
हाय ! हाय ! वह मर गया
कितनो ने अफ़सोस जताई।
वह भी शामिल थे इसमें
जिनके लिए था मै बना कसाई ।।
वे भी मनाये ख़ुशी से मातम
आकर मेरे आँगन में।
जिनके लिए था काँटा मै
चुभता था जिनके दामन में ।।
मेरे अर्थी चले उठाकर
अपने कंधे पिता और भाई।
सबने मिलकर चिता बनाया
मेरी चिता को आग लगाई ।।
निकला था आँसू की धारा
वह भाई बहन की आँखों से।
पिता अस्थि को चुन कर लाए
मेरी चिता की राखो से ।।
विलीन हुआ यह मेरा तन
आज भी घर में सब रोते।
अस्थि बची हुई थी जो
उसको जाकर गंगा गोते ।।
कभी बोले नहीं जो दुश्मन थे
वे भी अपना बाल बनाये।
खुशी से मन को गदगद फिर भी
अपना बुरा थे हाल बनाये ।।
किसी को ज्यादा नहीं है दुःख
मोह माया में जाते फंस।
पल दो पल कोई दो चार दिन
कोई रोते है एक बरस।।
सबने किया कर्म क्रिया
मुश्किल से संस्कार बिताये।
दशगात्र बिता और भोज किये
मुर्गा बकरा मारे खाये ।।
क्या इसी को मातम कहते है
जो छप्पन भोग लगाते है।
आँखों में आँसू दिखाते
घर में ख़ुशी मनाते है ।।
यही होती है सबकी भाई
मृत्यु एक दिन आएगी।
चरण चूमेगी वह तेरी
वह तुझको गले लगाएगी।।
धन्यवाद।
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