तुम्हे जब से देखा हूँ , तुमसे मिला हूँ । तन्हाई में तेरी यादे है , फिर भी मै अकेला हूँ । । अकेलेपन में तुम्हारी ,...
तुम्हे जब से देखा हूँ ,
तुमसे मिला हूँ ।
तन्हाई में तेरी यादे है ,
फिर भी मै अकेला हूँ।।
अकेलेपन में तुम्हारी ,
यादे ही मेरे साथ है।
आनंद में डुब जाता हूँ ,
जो तुम्हारी आवाज़ है ।।
तुम्हारी वह आदत ,
सरारत से मुस्कुराना ।।
कभी अकड़ कर देख चलना,
शरमा कर के झुक जाना ।।
तुम्हारी वह चाहत ,
वह तुम्हारी इंतजार।
तुम्हारी वह देखना ,
सहेलियों के साथ कई बार।।
अलग सा विचार आता ,
मुझे भ्रम में सोचता कही।
तुम मुझसे नाराज हो ,
रुष्ट हो , या खफा तो नहीं।।
तेरी तस्वीर अब मेरे ,
दिल में उतर आयी है।
पता नहीं हम दोनों के ,
बीच कितनी खाई है ।।
काश यह खाई को ,
मै पाट पाता।
समाज के उलझनों को ,
मै काट पाता ।।
रस्म रिवाज की वह ,
उलझने दूर होती।
वह ख़ुशी का पल ,
जो मेरे पास आता ।।
फिर तो हौले हौले ,
ख़ुशी का पल खिसकता।
न कभी दिल रोता ,
न धड़कन सिसकता ।।
धन्यवाद।
COMMENTS