जीवन में कितने भले बुरे दिन आए, कभी ख़ुशी से आहा ! कहा तो कभी दुःख से हाय ! कभी किसी का जाना मत ...
जीवन में कितने
भले बुरे दिन आए,
कभी ख़ुशी से आहा ! कहा
तो कभी दुःख से हाय !
कभी किसी का जाना मत
तो किसी से लिया राय ,
इंद्रधनुष की छटा भी मानों
अपनी रंग दिखाए।
सासो की हर दौर भी
धड़कन को दिया बताए ,
कभी आँसू की घूँट पिए
और रोते जीवन बिताए।
मेवे मिस्ठान साथ लेकर
छप्पन भोग लगाए ,
कुछ दिन ऐसे बीते है
रोटी नमक बजाय।
कभी किसी से छुपा दिया
तो किसी को दिया बताए ,
कभी ख़ुशी को दिन भाय
और दुःख के दिन रुलाए।
लेखनी भी लिखते रोती है
दुःख के दिनों के साये ,
कभी ख़ुशी से आहा ! कहा
तो कभी दुःख से हाय।
धन्यवाद।
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