एक दिन सरोवर के किनारे विचरण करते , वन बिहार पक्ष समूह से विचार आये कई। कुछ रामचौरा अच्छा बताये ...
एक दिन सरोवर के
किनारे विचरण करते ,
वन बिहार पक्ष समूह से
विचार आये कई।
कुछ रामचौरा अच्छा बताये
समूह में अनेक विचार आए ,
अंततः जाना तय हुआ
शाम , सुबह को पवई ।
मै सुना था वहाँ
सुन्दर जल प्रपात है।
कुछ लोग सोचते थे
यह छोटी मोटी बात है।
पूर्ण हुई तैयारी
बढ़ाये राह में कदम,
सफर तय करते
समूह सायकल से हम,
अनजान जगह की सफर
करते विचार आते।
प्रकृति का मनोरम दृश्य
चंचल मन को खूब भाते।
टेप से कुछ गाने का
धुन सुनते हुए।
भूले बिसरे यादो के
पल को चुनते हुए।
संकोच वस किसी से
रास्ते पूछ जाते।
कुछ शरमा के विचार करते
फिर वे हमे बताते।
तरह-तरह की छोटी बड़ी
सरोवर सरिता पार करते।
हर लम्हे हम सब एक
नए गाँव में पाँव धरते।
कभी मेघ से जी घबराता
धुप से कभी बहे पसीना।
बीच में कोई पूछ जाता
बाकी है कितनी दूर जाना।
कौन बताए हम में से
किसे पता है ठौर ठिकाना।
पवई जगह ऐसी थी
जिससे सब कोई थे अनजाना।
सायकल को रख हम सबने
शुरु किया पैदल ही जाना।
शिव नाम का व्यक्ति था
जिसको ले गए राह बताना।
अब कंटकाकीर्ण रास्ते को
हम सब थे पार करते।
सघन जंगल था कठिनाई थी
फिर भी हम पर्वत पर चढ़ते।
शोख अदाओं से बहते
प्रपात की आवाज आई।
अटपटे रस्ते कही पे उलझन
और कही पे थी खाई।
झूम उठा था उस वक्त मन
जब प्रपात दिखाई दिया।
ऊपर चढ़कर हम सबने
एक जगह पड़ाव किया।
खाना बनती भजिया छनती
और कोई स्नान किया।
किया नास्ता खाना खाया
था चुल्लू से पानी पिया।
सुन्दर दृश्य थी मनभावन था
हम सब थे फोटो खींचे।
आसमान पर बदल भी
लगते थे आँखे मीचे।
जल प्रपात के हर दृशय
देखने में मज़ा आ रहा था।
वह पवई भी उफनती धार में
बहा जा रहा था।
ढल चूका था दिन आ चूका
वापसी का सफर।
फिर वही रास्ते से पहुँचे
हम सब अपने गाँव घर।
धन्यवाद।
COMMENTS